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लेखनी कहानी नफरत


"तुम तो मुझसे प्यार करते थे ना। वो सारी बातें और सात जन्म तक साथ निभाने का वादा वो सब क्या था।" नित्या ने जब कबीर की बाहों में किसी और लड़की को देखा तो आंखों में दर्द भर कर पुछा। यह सुनकर कबीर हंसने लगा।


"हाहाहाहाहा! तुम मिडल क्लास लड़कियां चार मीठी बातों और वादों को सच मान लेती हैं लेकिन जब यह भ्रम टूटता है तो आंसू बहाने लग जाती हो। कहां मैं कबीर रायजादा रायजादा कंस्ट्रक्शन के मालिक का बेटा और कहां तुम एक मामूली से ड्राइवर की बेटी। तुमने सोचा भी कैसे कि हम दोनों का मेल हो सकता है। अपनी औकात मत भूलो। नौकर हो नौकर बन कर रहो।" कबीर ने तिरस्कृत नजरों से नित्या की और देखा और उसे अनदेखा कर उस दूसरी लड़की के चेहरे के करीब होने लगा।



"मैंने कभी नहीं सोचा था कि तुम्हारा असली चेहरा ऐसा भी हो सकता है। मेरी ही ग़लती थी जो मैंने तुमसे बेइंतहा प्यार किया। लेकिन तुम्हारा यह घटिया रुप देखने के बाद मैं नफरत करती हूं। आज तुम्हारी इस घटिया हरकत ने मेरी बेपनाह मोहब्बत को नफरत में बदल दिया है। लेकिन इस नफरत की आग में सिर्फ मैं अकेली ही नहीं जलूंगी मिस्टर कबीर रायजादा बल्कि इस बेपनाह नफरत की तपिश तुम्हें भी महसूस होगी। वक्त की धारा भले ही आज तुम्हारी तरफ है लेकिन कभी तो वक्त की धारा बदलेगी।"  यह कहते हुए नित्या रोते हुए वहां से चली गई। कबीर भी उस लड़की को साथ लेकर कमरे की तरफ बढ़ गया।



#दैनिक प्रतियोगिता 

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6 Comments

shweta soni

04-Apr-2023 05:31 AM

Bahot khub

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Vedshree

01-Apr-2023 11:09 PM

👌👌🌸👏

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Gunjan Kamal

01-Apr-2023 09:09 AM

लघुकथा लिखी आपने! बहुत खूब

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